By: सुशील मानव
इस आदमी का नाम है डॉक्टर कृष्ण लाल पटेल. यूपी के 69000 शिक्षक भर्ती में पेपरआउट का मास्टरमाइंड है ये. मध्यप्रदेश के व्यापम घोटाले में भी इसका नाम आया था. और 45 जेल में भी रहा था.
अब इसकी कुंडली जान लीजिए
अब इसकी कुंडली जान लीजिए
मेरे घर से करीब 15-20 किलोमीटर की दूरी पर इसका घर बहरिया के कपसा गांव में है. वहां ये अपना एक डिग्री कॉलेज भी चलाता है.
जबकि मेरे घर से महज 1 किलोमीटर की दूरी पर इसकी ससुराल है. इसकी सास सुधा पटेल फूलपुर में पाठक नर्सिग होम में नर्स का काम सीखी और बाबूगंज मेनरोड स्थित अपने आवास पर नर्सिंग होम खोल ली. नर्स तक की डिग्री नहीं है इसके पास और एबॉर्शन से लेकर डिलिवरी तक का सारा काम खुद करती है. पुलिस चौकी और थाना इसके नर्सिंग होम से 3-5 किलोमीटर की दूरी पर है. लेकिन नर्सिंग होम में क्या कैसे होते है ये पुलिस को छोड़कर बाकी सबको पता है.
वापिस डॉ के एल पटेल पर आते हैं. उत्तरप्रदेश में ऐसी कोई विभाग ऐसी कोई वैकेंसी नहीं जिसमें इस शख्स ने कुछ लोगो को नौकरी न दिलवाई हो. इलाहाबाद में डॉ के. एल. पटेल सरकारी नौकरी की चाह रखने वालों के बीच में एक विश्वसनीय नाम बन गया कि पैसे लेकर काम करवा देता है. दो साल पहले ही इसने मेरे ही गांव के कई लड़कों को, वी. डी. ओ. और लेखपाल के पदों पर भर्ती करवाया है.
राज्य में जब भी कोई भर्ती निकलती डॉ के. एल. पटेल के घर पर फैले लेकर आने वालों की संख्या बढ़ जाती. ये बात सबको पता है. पुलिस या भ्रष्टाचार निरोधी विभाग को छोड़कर. तो पिछले 10-12 वर्षों में के एल पटेल ने बहुत लोगो को नौकरी दिलवाई और बहुत पैसे बटोरे.
लेकिन डॉ के एल पटेल इतने से संतुष्ट होने वाला व्यक्ति नहीं था. वो बेहद महत्वाकांक्षी है. तो धीरे धीरे तमाम भ्रष्टाचारियों की तरह पोलिटिक्स में कदम बढ़ाने लगा. जिला पंचायती लड़ा जीता भी. फिर इसने अपना अगला गोल विधायक के लिए सेट किया. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 से करीब एक साल पहले से ही ये अपने आप को अपनी विधसभा क्षेत्र प्रतापपुर के प्रत्याशी के रूप में प्रचारित करने लगा. हिंदुस्तान, दैनिक जागरण और अमर उजाला में इसके तारीफों के गुणगान छपने लगे. इसने बतौर प्रत्याशी अपना दल की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल का अपने क्षेत्र में एक बड़ा कार्यक्रम भी किया.
लेकिन 2017 उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा सहयोगी अपना दल ने प्रतापपुर सीट से करण सिंह को टिकट दे दिया.
अब चूंकि के. एल. पटेल चुनाव के साल भर पहले से तैयारी कर रहा था और खुद को अपना दल का निश्चित प्रत्याशी मानते हुए इसने प्रचार में लाखों रुपये भी फूंका था तो ऐसे कैसे जाने देता.
अतः के. एल. पटेल प्रतापपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय ही चुनाव लड़ गया.
https://www.facebook.com/susheel.manav5891/posts/3034286766649151
इस विधानसभा सीट से बसपा के मुजतबा सिद्दीकी ने अपना दल के करन सिंह को करीब 2600 वोटों से हराया।
अब चूंकि के. एल. पटेल चुनाव के साल भर पहले से तैयारी कर रहा था और खुद को अपना दल का निश्चित प्रत्याशी मानते हुए इसने प्रचार में लाखों रुपये भी फूंका था तो ऐसे कैसे जाने देता.
अतः के. एल. पटेल प्रतापपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय ही चुनाव लड़ गया.
https://www.facebook.com/susheel.manav5891/posts/3034286766649151
इस विधानसभा सीट से बसपा के मुजतबा सिद्दीकी ने अपना दल के करन सिंह को करीब 2600 वोटों से हराया।
डॉ के. एल. पटेल चुनाव में निर्दलीय न उतरता तो अपना दल प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित थी. इसके बाद ही डॉ के एल पटेल सत्ता के निशाने पर आ गया. चुनाव परिणाम आने के बाद इसके खिलाफ़ काम में लापरवाही बरतने और नौकरी से गैरहाजिर रहने की जांच भी बिठाया गया था .
टीईटी व रेलवे परीक्षा के दौरान जेल भेजे गए सॉल्वर गिरोह के सदस्यों से भी पूदताछ की तैयारी में है। बता दें कि इसी साल जनवरी में एसटीएफ ने सिविल लाइंस में टीईटी परीक्षा के दौरान पेपर लीक कराने में जुटे स्कूल प्रबंधक चंद्रमा यादव समेत अन्य को जेल भेजा था। पूछताछ के दौरान 69 हजार शिक्षक भर्ती में गिरफ्तार केएल पटेल भी चंद्रमा से परिचित होने की बात कबूल चुका है।